Examine This Report on Hindi poetry

ध्यान मान का, अपमानों का छोड़ दिया जब पी हाला,

अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला,

कभी न कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला प्याला',

विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।।२४।

पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,

और पुजारी भूला पूजा, ज्ञान सभी ज्ञानी भूला,

उस कविता का एक अंश ऐसे है:

Hi friend, For starters i want to say, this is an awesome selection. If you're able to organize the poem by makhanlal chaturvedi ji-

देखो कैसों-कैसों को है नाच नचाती मधुशाला।।४०।

चहक रहे, सुन, पीनेवाले, महक रही, ले, मधुशाला।।१०।

पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा website मतवाला,

बढ़ा बढ़ाकर मुझको आगे, पीछे हटती मधुशाला।।९३।

बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न प्रतिमा पर माला,

देव अदेव जिसे ले आए, संत महंत मिटा देंगे!

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